Saturday, April 28, 2018


 दिल से शायरी ताक   झाक करती हैं ,
 न खुद   सोती हैं न मुझको ही सोने देती  हैं
 गर भूले से झपक जायें  निन्दमारी रातें ,
तो  गालिबें अंदाज में जगाती  हैं ,
 पल में सरगम बनती और लम्हों  में करवट बदल लेती हैं

वो छुप छुप कर दिल टटोल रहा हैं ,
क्या हैं आस पास बस यही बटोर रहा हैं
जाने क्यूँ मुझको खुद के तराजू में तौल रहा हैं ,
मेरे  वजूद को जानकर भी वो  ,
यहाँ वहाँ   सज रहा  हैं
की सुरुवात शर्तों से ,
मेरे दिल की चाह का कारवाँ
अब डर कर ही सही
लेकिन     चाहती रंग में वो रंग रहा हैं
वैसे तो कब से अटकी थी मैं उसके दिल में ,
लेकिन वो जान  कर भी अनजान बन रहा था ,

 उमींद हैं  इस दिल को
की तू प्यार को प्यार ही रहने देगा
न खुद जिन्दगी में भाग कर
किनारा  पायेगा
और न मुझको भी   ...किनारे से मिलने देगा। ..
ये प्रेम दरिया हैं। ..डूब कर ही बैकुंठ मिलता हैं