Friday, May 13, 2011

"लोरी"

राजा बेटा  रानी  बेटी ,
परियों  की  रानी  आयेगी  सुन्दर कहानी  सुनायेगी!
          
राजा बेटा  रानी  बेटी ,


सागर के  जितने शंख सुहाने,
जुगनू वो तारें प्यारे सारे,
नई दुनिया कोई  बनायेगी 
            सुन्दर कहानी सुनायेगी......       
                     

राजा बेटा  रानी  बेटी ,


चाँद से लेके प्यार की डोरी ,
काजल भर के आखों में,  
सिरहाने तेरे बठेगी
सुन्दर कहानी सुनायेगी !
                    राजा बेटा  रानी  बेटी ,
अलसाई पलकों को सैह्लाकर, 
आँचल का झुला बनाकर ,
सपनों की मोंती पिरोयेगी
सुन्दर कहानी सुनायेगी 
 राजा बेटा  रानी  बेटी ,
परियों  की  रानी  आयेगी  सुन्दर कहानी  सुनायेगी!
 राजा बेटा  रानी  बेटी ,



This is only for women ,who really loves kids,and women has got inner connection and affection that arouse the feeling of love and care for children ,Lori is something which is liked by all the children,A mother gives birth to child and  a child gives birth to Lori,A mom automatically started murmuring something which become Lori for her child,Chanda hain tu mera suraj hain tu  is a famous Lori .Lori is a need of every society modern or conservative,rich or poor ,Lori always gives smiles and a nice sleep to children   


Friday, April 22, 2011

मन

दिन जल्दी-जल्दी ढलता है: मन: "मन जो कहता है ,कास की हम वही कर पाते ? हम सोचते कुछ है और होता कुछ और है | फिर भी क्यों हम मन के बारिश में भींगे जाते है ? चल परते है उस ..."

मन

मन जो कहता है ,कास की हम वही कर पाते ?
हम सोचते कुछ है और होता कुछ और है |
फिर भी क्यों हम मन के बारिश में भींगे जाते है ?
चल परते है उस रह पर जिसकी मंजिल का पता ...................
खुद मन भी नही जानती ............
एक धुन है मन और हमारे सोच की बीच .............
जाने क्यों हम इस मन के सागर का किनारा चाह कर भी,
अपनी पतवार से नही मिलाते..............
शायद एक सोच है की मन जो कहता है , वही सच है "
और इसी सोच के साथ हम कर्वी निमोली को,
अपनी कोशिसो के मिसरी में खुला कर
कभी तिनके पर कभी बूंदों पर बरसाते रहते है ............
मन तो मन है,
चंचल बनकर हमे
एक ड़ाल से दूसरी ड़ाल तक
बसंत के झूलो सा झूलता रहता है |

Tuesday, March 15, 2011

दिन जल्दी-जल्दी ढलता है

दिन जल्दी-जल्दी ढलता है -
हो जाय न पथ में रात कहीं,
मंज़िल भी तो है दूर नहीं -
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!

बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
नीड़ों से झाँक रहे होंगे -
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!

मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचल? -
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!