Tuesday, March 15, 2011

दिन जल्दी-जल्दी ढलता है

दिन जल्दी-जल्दी ढलता है -
हो जाय न पथ में रात कहीं,
मंज़िल भी तो है दूर नहीं -
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!

बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
दूर  से झाँक रहे होंगे -
 चिड़ियों के बच्चों के चोंच में दाने भरता है ,
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!

मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचल? -
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!

स्याही रात की नींद से बातें करता है 
बिस्तर दादी के , पोती ठीक करती हैं 
मां चूल्हे को प्रणाम करती हैं 
 दिन जल्दी जल्दी ढलता है।
वंदना सिंह वासवानी 🙏🏻 

2 comments:

  1. thank you, i really inspire by you . you have great Personality.
    take care yourself dynamic lady.
    with regard
    Vandana

    ReplyDelete