जो दिल की जबान रेशमी अदा में शब्दों की डोली में आँखों से छलकती हैं उसे ग़ज़ल कहतें हैं :-
मेरी तलाश हो तुम -2
तुझको मैंह्फुज रखेगें
दिल की जन्नत में
मेरी तलाश हो तुम -2
गर हैं प्यार दुआँ ...
तो दुआँ तुम रहो
गर हैं सज़ा भी इश्क
तो सजा में मैं ही रहूँ ..
डालकर तुम पर आलिशान सा मन
तुझको मैंह्फुज रखेगें
दिल की जन्नत में
मेरी तलाश हो तुम -2
न कोई शक हैं ना शुबां ही सनम
तेरी सासों के संग हैं
शबनमी राबिता सा सनम
सौपकर तुझको सुगंध महल
तुझको मैंह्फुज रखेगें
दिल की जन्नत में
मेरी तलाश हो तुम -2
तेरी दिल की सिलवटों में
ना होगी कोई अर्जी मेरी
रचना हु मैं तेरी
चाहें तू अब जैसे भी पढ़
तुझको मैंह्फुज रखेगें
दिल की जन्नत में
मेरी तलाश हो तुम -2
चाहतों में कभी कोई इल्जाम न देंगें तुम्हें
चाहो तो रख लो हर शय
जो बारिश में बिखरें थें कभी
मेरी पहचान हो तुम
तुझको मैंह्फुज रखेगें
दिल की जन्नत में
मेरी तलाश हो तुम -2